चीन की भाषा ने बदल दी सारनाथ के युवाओं की जिंदगी, कमा रहे 70-80 हजार; दो दोस्तों ने शुरू की थी एक यात्रा
- कोविड महामारी के बदली सूरत
- कोविड महामारी के बाद पर्यटन व्यवसाय में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला। आज भी सारनाथ क्षेत्र के युवा जिसमें राजेश, संजय, मनोज, नवरत्न, दशरथ, विनोद, प्रदुम, मनीष तिवारी, मनीष मौर्य भारत के अलग-अलग शहरों में चीनी कंपनियों में इंटरप्रेटर की नौकरी कर रहे हैं। उनको महीने में 70 से 80 हजार रुपये की आमदनी भी हो रही है। दयाल आजाद ने बताया कि इस काम में उनको पहले तो भारत के सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों को घूमने का मौका मिला। इससे अच्छी आमदनी भी होने लगी।
होती थी अच्छी आमदनी
धर्मराज का कहना है कि चीनी भाषा सीखने के बाद उनको देश-विदेश घूमने का मौका मिला। जीवन स्तर में भी सुधार आया। गुरु दयाल बताते हैं कि 2009 से पहले मैं फ्रिज रिपेयरिंग का काम करता था लेकिन चीनी भाषा सीखने के बाद जीवन स्तर पूरी तरह से बदल गया। इस समय 30 से अधिक युवा इस समय अपने पैरों पर खड़े हैं।2009 में दो दोस्त गुरु दयाल आजाद व धर्मराज ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से चीनी भाषा सीखने के बाद चीन जाने की ठानी। दोनों ही 2009 में चीन चले गए और दो साल तक चीन की शायांग नॉर्मल यूनिवर्सिटी से चीनी भाषा में डिप्लोमा किया। डिप्लोमा पूरा होने के बाद दोनों दोस्त दिल्ली में ही ट्रैवल एजेंसी में काम करने लगे।